इलेक्टोरल बांड क्या है और इंडिया में इसपे इतना हंगामा क्यों हो रहा है ?

 

इलेक्टोरल बांड एक वित्तीय साधन है जिसका उपयोग राजनीतिक दलों को दान देने के लिए किया जाता है। ये बांड धारक साधन होते हैं, जिसका अर्थ है कि ये किसी भी व्यक्ति या संस्था के पास हो सकते हैं। इलेक्टोरल बांड को एसबीआई की 29 शाखाओं से खरीदा जा सकता है। ये बांड 1,000, 10,000, 1 लाख, 10 लाख और 1 करोड़ के मूल्यवर्ग में उपलब्ध हैं।

इलेक्टोरल बांड को लेकर हंगामा के मुख्य कारण इस प्रकार हैं:

पारदर्शिता की कमी: इलेक्टोरल बांड जारी होने के बाद से ही पारदर्शिता की कमी को लेकर कई सवाल उठाए गए हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि ये बांड कौन खरीद रहा है और ये पैसे किस राजनीतिक दल को जा रहे हैं।

भ्रष्टाचार का खतरा: इलेक्टोरल बांड से भ्रष्टाचार बढ़ने का खतरा है। क्योंकि, ये बांड गुमनाम रूप से खरीदे जा सकते हैं, इसलिए राजनीतिक दलों को दान देने वाले लोगों की पहचान नहीं हो पाती है। इससे राजनीतिक दलों पर कॉरपोरेट्स या अन्य शक्तिशाली हितधारकों का प्रभाव बढ़ सकता है।

लोकतंत्र के लिए खतरा: कई लोगों का मानना ​​है कि इलेक्टोरल बांड लोकतंत्र के लिए खतरा हैं। क्योंकि, ये बांड राजनीतिक दलों को अमीर लोगों और कॉरपोरेट्स पर निर्भर बना सकते हैं। इससे राजनीतिक दल जनता के प्रति जवाबदेह होने के बजाय अमीर लोगों और कॉरपोरेट्स के प्रति जवाबदेह हो सकते हैं।

भारत में इलेक्टोरल बांड के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  • इलेक्टोरल बांड की शुरुआत 2017 में मोदी सरकार ने की थी।
  • सरकार का तर्क है कि इलेक्टोरल बांड राजनीतिक दलों को दान देने के लिए एक पारदर्शी और निष्पक्ष प्रणाली प्रदान करते हैं।
  • हालांकि, कई लोगों का मानना ​​है कि इलेक्टोरल बांड राजनीतिक दलों के वित्तपोषण में पारदर्शिता कम करने का एक तरीका है।
  • 2023 में, सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बांड को असंवैधानिक घोषित कर दिया।

हंगामा के कारण:

  • पारदर्शिता की कमी: इलेक्टोरल बांड जारी होने के बाद से ही पारदर्शिता की कमी को लेकर कई सवाल उठाए गए हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि ये बांड कौन खरीद रहा है और ये पैसे किस राजनीतिक दल को जा रहे हैं।
  • भ्रष्टाचार का खतरा: इलेक्टोरल बांड से भ्रष्टाचार बढ़ने का खतरा है। क्योंकि, ये बांड गुमनाम रूप से खरीदे जा सकते हैं, इसलिए राजनीतिक दलों को दान देने वाले लोगों की पहचान नहीं हो पाती है। इससे राजनीतिक दलों पर कॉरपोरेट्स या अन्य शक्तिशाली हितधारकों का प्रभाव बढ़ सकता है।
  • लोकतंत्र के लिए खतरा: कई लोगों का मानना ​​है कि इलेक्टोरल बांड लोकतंत्र के लिए खतरा हैं। क्योंकि, ये बांड राजनीतिक दलों को अमीर लोगों और कॉरपोरेट्स पर निर्भर बना सकते हैं। इससे राजनीतिक दल जनता के प्रति जवाबदेह होने के बजाय अमीर लोगों और कॉरपोरेट्स के प्रति जवाबदेह हो सकते हैं।

निष्कर्ष:

इलेक्टोरल बांड एक विवादास्पद मुद्दा है। इसके पक्ष और विपक्ष में कई तर्क हैं। यह देखना बाकी है कि इलेक्टोरल बांड भारतीय राजनीति पर क्या प्रभाव डालते हैं।

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